कालसर्प पूजा​

कालसर्प दोष क्या है ?

जब इस पृथ्वी पर कोई आत्मा मनुष्य के रूप में जन्म लेती है, तो उसका भाग्य उसकी कुंडली के रूप में सामने आता है। यह कुंडली उस व्यक्ति के भविष्य का संकेत देती है। कुंडली के बारह भावों में स्थित ग्रहों के आपसी संबंधों से विभिन्न प्रकार के योग और दोष बनते हैं। जब जन्म कुंडली में राहु और केतु के बीच सभी ग्रह स्थित हो जाते हैं, तो इसे कालसर्प दोष कहा जाता है। इसे कालसर्प इसलिए कहा जाता है क्योंकि राहु का अधिपति देवता काल और केतु का अधिपति देवता सर्प माने जाते हैं।

यह दोष अत्यधिक कष्टकारी होता है और जीवन में कई समस्याएँ उत्पन्न करता है, इसलिए इसे कालसर्प दोष कहा गया है। जिन जातकों की कुंडली में यह दोष होता है, उन्हें अपनी मेहनत का अपेक्षित फल नहीं मिलता। उनका जीवन संघर्षों से भरा रहता है, विवाह में विलंब होता है या वैवाहिक जीवन में कलेश होता है। मन हमेशा अशांत रहता है, और यह प्रमाणित हो चुका है कि कालसर्प दोष का प्रभाव वास्तविक है। वर्तमान समय में कालसर्प योग की चर्चा पूरे विश्व में हो रही है। महर्षि वराहमिहिर और पाराशर जैसे ज्योतिषाचार्यों ने अपने ग्रंथों में कालसर्प योग को मान्यता दी है। इसके अलावा, महर्षि भयु, वादरायण, गरुड़, और मणित्थ जैसे प्रमुख ग्रंथों में भी इस योग की विस्तृत चर्चा की गई है।

कालसर्प दोष के संकेत एवं लक्षण

  1. सभी कार्यों में असफलता एवं रुकावट का सामना करना

  2. विवाह में विलंब होना

  3. दांपत्य जीवन प्रभावित रहना

  4. संतान प्राप्ति में समस्या एवं विलंब

  5. पढ़ाई में रुकावट

  6. स्वप्न में सर्प एवं नदी तालाब दिखाई देना

  7. बार-बार सर्प दिखाई देना

Best Pandits for Kaal Sarp Puja in Ujjain

Aacharya Pandit Devendra Sharma Ji

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कालसर्प दोष की उत्पत्ति

कुंडली में कालसर्प दोष की उत्पत्ति के कारक राहु एवं केतु है किसी भी जातक की कुंडली में सभी राहु एवं केतु ग्रह से ग्रसित होते हैं तो वह कुंडली कालसर्प दोष से प्रभावित रहती है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार राहु को काल एवं केतु को धड़ माना गया है एवं किसी भी जातक की कुंडली में इन दोनों ग्रहों के बीच में सभी ग्रह ग्रसित हो जाते हैं तो कालसर्प दोष बनता है इस दोष के कारण जीवन में बहुत समस्याओं का सामना करना पढ़ सकता है विवाह में विलंब संतान प्राप्ति में विलंब एवं दांपत्य जीवन में समस्याएं और व्यापार में हानि एवं व्यवसाय में पदोन्नति में रुकावटें आदि का सामना करना पड़ता है

कालसर्प दोष निवारण

कालसर्प दोष निवारण के भारत में विशेष रूप से दो स्थान है उज्जैन एवं नासिक उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा का महत्व इसलिए क्योंकि उज्जैन बाबा महाकाल की नगरी है एवं मोक्ष वाहिनी मां शिप्रा नदी बहती है कुंडली में कालसर्प दोष राहु केतु के द्वारा सभी ग्रहों के ग्रसित होने के कारण बनता है मां मोक्ष वाहिनी शिप्रा नदी के तट पर कालसर्प दोष निवारण पूजा करने से इस दोष से मोक्ष की प्राप्ति होती है एवं कालसर्प दोष का निवारण होता है एवं जीवन की सभी समस्याएं दूर होकर सुख शांति समृद्धि की प्राप्ति होती है

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