लग्ने व्यये च पाताले, जामित्रे चाष्टमे कुजे।
भार्याभर्तृविनाशाय, भर्तुश्च स्त्रीविनाशनम्।।
उपरोक्त श्लोक के अनुसार किसी भी कुंडली में मंगल ग्रह लग्न चतुर्थ सप्तम अष्टम द्वादश स्थान में स्थित होते हैं तो मंगल दोष बनता है मंगल दोष को मांगलिक दोष भी कहा जाता है यह दोस्त उपरोक्त स्थान में मंगल ग्रह की स्थिति होने से बनता है एवं किसी भी व्यक्ति की कुंडली मांगलिक दोष या मंगल दोष से प्रभावित है तो उस व्यक्ति को जीवन में कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है मंगल दोष के कारण शारीरिक कष्ट एवं भूमि भवन में विवाद एवं मुकदमे बाजी , आर्थिक संकट एवं कर्ज की समस्या
विवाह में विलंब दांपत्य जीवन प्रभावित रहना संतान सुख में बाधाएं व्यापार व्यवसाय में हानि एवं रुकावट
इस प्रकार की समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए उज्जैन अवंतिका तीर्थ में आकर मंगल ग्रह की प्रसन्नता के लिए पूजन एवं मंगल ग्रह के जाप ब्राह्मणों के द्वारा करवाना चाहिए
मंगल दोष के कारण शारीरिक कष्ट का सामना करना पड़ता है रक्त संबंधित विकार
भूमि भवन के क्षेत्र में असफलता एवं विवाद मुकदमे बाजी का सामना करना पड़ता है
वाहन सुख में कमी या वाहन का बार-बार खराब होना
आर्थिक संकट एवं कर्ज से परेशानी
विवाह में देरी होना एवं दांपत्य जीवन में परेशानी पति-पत्नी में विवाद
संतान सुख में विलंब एवं बढ़ाएं
और नियंत्रित क्रोध एवं क्रोध के कारण कार्य क्षेत्र में असफलता
Acharya Pandit Devendra Sharma Ji has 6+ years of experience in performing all Hindu religious pujas at the holy city of Ujjain. He specializes in Kaal Sarp Dosh Puja, Pitra Shanti Puja, Mangal Dosh Nivaran Puja, and Maha Mrityunjay Jaap Anushthan with proven and effective results.
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मंगल दोष की उत्पत्ति किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में मंगल ग्रह के निश्चित स्थानों पर बैठने से मंगलदोष उत्पन्न होता है जैसे किसी भी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह 1,4,7,8,12 भाव में बैठते हैं तो उसे कुंडली में मंगल दोष की उत्पत्ति होती है इस दोष के निवारण के लिए मंगल ग्रह की पूजन एवं जप अनुष्ठान उज्जैन में आकर ब्राह्मणों के द्वारा करना चाहिए इस प्रकार पूजा करने से कुंडली में उत्पन्न मंगल दोष की शांति होती है एवं जीवन की सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है
मंगल दोष निवारण पूजा के लिए सर्वप्रथम गणेश अंबिका एवं वरुण भगवान की पूजा करके मंगल भगवान की विधि विधान से दही चावल भात पूजा की जाती है एवं भगवान महामंगल की प्रसन्नता के लिए महामंगल भगवान को गंध,अक्षत ,पुष्प ,धूप ,दीप, नैवेद्य आरती एवं लाल पोटली का दान दक्षिण अर्पण की जाती है
1 गणेश अंबिका वरुण भगवान की पूजा करके मंगल की भात पूजन
2 गणेश अंबिका वरुण नवग्रह पूजन एवं मंगल भगवान की बात पूजन और हवन
3 गणेश अंबिका पुण्यावचन कुलदेवी षोडशमातृका सप्तघृत पितृ स्मरण पूजन मंगल ग्रह का भात पूजन नवग्रह पूजन एवं हवन
4गणेश अंबिका पुण्यावचन कुलदेवी षोडशमातृका सप्तघृत पितृ स्मरण पूजन मंगल ग्रह का भात पूजन नवग्रह पूजन मंगल गृह के 11 ब्राह्मणों द्वारा जप एवं हवन
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कालसर्प पूजा विशेषज्ञ के रूप में, गुरुजी ने इस पूजा में विशेष निपुणता हासिल की है। उन्होंने अब तक अनगिनत शांति पूजा और यज्ञ संपन्न किए हैं, जिनसे यजमानों को तुरंत ही उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त हुए हैं।
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